इक तीर कलेजे में पिरोया हम ने
इक ज़ख़्म दिल-ए-ज़ार में बोया हम ने
लूटा किए फिर उम्र भर आहों के मज़े
यूँ जन्नत ओ दोज़ख़ को समोया हम ने
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Gulzar
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(677) Peoples Rate This
उस से पूछे कोई चाहत के मज़े
सुना के अपने ऐश-ए-ताम की रूदाद के टुकड़े
चर्ख़ की सई-ए-जफ़ा कोशिश नाकारा है
आरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया
ये आज की दुनिया भी है मरने वाली
ऐ सोज़-ए-जाँ-गुदाज़ अभी मैं जवान हूँ
वो बहर-ए-कर्ब-ओ-अलम का ख़ुलासा है यकसर
तक़दीर-ए-अज़ल आह तो भरती होगी
चीर कर सीने को रख दे गर न पाए ग़म-गुसार
शोले भड़काओ देखते क्या हो
क्या ख़ाक करम है जो मुझे तू बख़्शे
ये सनम रिवायत-ओ-नक़्ल के हुबल-ओ-मनात से कम नहीं