गुनाह

गुनाह क्या है

सवाब क्यूँ है

सवाब की लज़्ज़तें हैं कैसी

गुनह का भारी अज़ाब क्या है

मुझे तो ये भी ख़बर नहीं है

गुनाह आख़िर गुनाह क्यूँ है

कहाँ से फूटा है उस का चश्मा

किसी पहाड़ी से झरना बन कर गिरा है नीचे

ज़मीं के दिल पर

कि जलते होंटों का दुख बुझाने उमड पड़ा है

ख़ुद उस की अपनी ही छातियों से

ये रेग-ज़ारों की आरज़ू है

या फिर समुंदर की आबरू है

जहाँ से बादल जवानी चढ़ता है

आसमानों की

पानी क्या है

ये जो पहाड़ों पे झूमता है

सुलगते सूरज को चूमता है

दो-चार लम्हे पहाड़ सीने पे झूम लेना

सुलगते सूरज को चूम लेना

गुनाह क्यूँ है

सवाब क्या है!

(717) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gunah In Hindi By Famous Poet Ali Mohammad Farshi. Gunah is written by Ali Mohammad Farshi. Complete Poem Gunah in Hindi by Ali Mohammad Farshi. Download free Gunah Poem for Youth in PDF. Gunah is a Poem on Inspiration for young students. Share Gunah with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.