हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक
कुछ बड़ी बात थी होते जो मुसलमान भी एक
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Gulzar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(9185) Peoples Rate This
तमन्ना दर्द-ए-दिल की हो तो कर ख़िदमत फ़क़ीरों की
ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें
अज़ाब-ए-दानिश-ए-हाज़िर से बा-ख़बर हूँ मैं
ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब
ख़ुदी की शोख़ी ओ तुंदी में किब्र-ओ-नाज़ नहीं
वजूद-ए-ज़न से है तस्वीर-ए-काएनात में रंग
परेशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा
ला फिर इक बार वही बादा ओ जाम ऐ साक़ी
मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं
बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ