Ghazals of Ameeq Hanafi
नाम | अमीक़ हनफ़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameeq Hanafi |
जन्म की तारीख | 1928 |
मौत की तिथि | 1985 |
कविताएं
Ghazal 16
Nazam 25
Couplets 9
Love 31
Sad 18
Heart Broken 26
Hope 9
Friendship 2
Islamic 1
Sufi 1
Social 3
देशभक्तिपूर्ण 2
बारिश 4
ख्वाब 4
Sharab 1
यूँ हुआ है चाक मल्बूस-ए-यक़ीं सिलता नहीं
सावन आया छाने लगे घोर घन घोर बादल
फूल खिले हैं लिखा हुआ है तोड़ो मत
मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा
मैं भी कब से चुप बैठा हूँ वो भी कब से चुप बैठी है
लम्बी रात से जब मिली उस की ज़ुल्फ़-ए-दराज़
कौन है ये मतला-ए-तख़ईल पर महताब सा
कहने को शम-ए-बज़्म-ए-ज़मान-ओ-मकाँ हूँ मैं
हम कि जो बैठे हुए हैं अपने सर पकड़े हुए
है नूर-ए-ख़ुदा भी यहाँ इरफ़ान-ए-ख़ुदा भी
दिल है वीरान बयाबाँ की तरह
बीन हवा के हाथों में है लहरे जादू वाले हैं
अर्ज़-ए-मुद्दआ करते क्यूँ नहीं किया हम ने
'अमीक़' छेड़ ग़ज़ल ग़म की इंतिहा कब है
अक्सर रात गए तक मैं चौखट पर बैठा रहता हूँ
ऐनक के दोनों शीशे ही अटे हुए थे धूल में