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दूर बैठा हुआ तन्हा सब से
हर एक हाथ में पत्थर दिखाई देता है
यकुम जनवरी है नया साल है
आइने से नज़र चुराते हैं
क्या गुज़रती है मिरे बाद उस पर
लोग बनते हैं होशियार बहुत
नज़र आने से पहले डर रहा हूँ
सुब्ह तक मैं सोचता हूँ शाम से
इन सराबों से गुज़रने दे मुझे
जंग जारी है ख़ानदानों में
सुना है अब भी मिरे हाथ की लकीरों में
जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं