कैसे कैसे बना दिए चेहरे
अपनी बे-चेहरगी बनाते हुए
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तख़य्युल को बरी करने लगा हूँ
अक्स कितने उतर गए मुझ में
यूँही बे-बाल-ओ-पर खड़े हुए हैं
उस ने नासूर कर लिया होगा
एक ही बात मुझ में अच्छी है
ज़रा सी देर जले जल के राख हो जाए
कैसा मुझ को बना दिया 'अम्मार'
ख़ुद ही जाने लगे थे और ख़ुद ही
मैं ने तस्वीर फेंक दी है मगर
तीरगी ताक़ में जड़ी हुई है
रात से जंग कोई खेल नईं
हेलुसिनेशन