न मेरे हाथ से छुटना है मेरे नेज़े को
न तेरे तीर को तेरी कमाँ में रहना है
Habib Jalib
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(619) Peoples Rate This
क्यूँ नहीं होते मुनाजातों के मअनी मुन्कशिफ़
रू-ए-गुल चेहरा-ए-महताब नहीं देखते हैं
इसी ज़मीं पे इसी आसमाँ में रहना है
कब इश्क़ में यारों की पज़ीराई हुई है
देखा है किसी आहू-ए-ख़ुश-चश्म को उस ने
ये ख़ाना हमेशा से वीरान है
म'अरका जब छिड़ गया तो क्या हुआ हम से सुनो
इस पे हैराँ हैं ख़रीदार कि क़ीमत है बहुत
हमेशा किसी इम्तिहाँ में रहा
उस की मुट्ठी में जवाहिर थे नज़र मेरी तरफ़