आप के भी हो जाएँगे हम
पहले अपने तो हो लें
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खोया खोया रहता है
दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस
तेरे जाते ही ये हुआ महसूस
ख़ुद-कुशी करने में भी नाकाम रह जाते हैं हम
वस्ल की रात वो तन्हा होगा
ख़ुद से मिलना मिलाना भूल गए
इक झलक तेरी जो पाई होगी
हम सा दीवाना कहाँ मिल पाएगा इस दहर में
आँखों में तूफ़ान बहुत है
जाने किस की आहट का इंतिज़ार करता है
तोड़ कड़ियाँ ज़मीर कि 'अंजुम'
रंग ही से फ़रेब खाते रहें