लेकिन

अब ख़ुदा को भी ज़रा आराम करना चाहिए

इक ज़माने से मुसलसल कर रहा है

तीन शिफ़्टें

और दुनिया-भर के त्यौहाराें पे भी

मिल नहीं पाई कभी रुख़्सत उसे

हफ़्ता-वारी यानी वो जो दा एण्ड पे एक छुट्टी

सारी दुनिया में ही दी जाती है अब

उस की वो छुट्टी अज़ल से बंद है

सैंकड़ों बीमारियों में

काम करते ही उसे पाया है मैं ने

न तो बेटा है किसी का और न बाप

कोई रिश्ते-दार भी उस का नहीं

लव-अफ़ेयर या किसी शादी का कोई ज़िक्र भी आया नहीं

फिर भी उस को एक ख़िल्क़त

एक बाप

पर ये ऐसा बाप है

बेटे को मस्लूब होने से बचा पाया नहीं

न तो आता है न जाता है कहीं

इस लिए सालाना रुख़्सत भी नहीं मिलती उसे

यूँ भी बूढ़ा हो चुका है

काम उस से ले लिए जाएँ तो इक दिन

बोरीयत के बोझ में दब कर कहीं मर जाएगा

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Lekin In Hindi By Famous Poet Anwar Sen Roy. Lekin is written by Anwar Sen Roy. Complete Poem Lekin in Hindi by Anwar Sen Roy. Download free Lekin Poem for Youth in PDF. Lekin is a Poem on Inspiration for young students. Share Lekin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.