सारी दुनिया को जीतने वाला
अपने बच्चों से हार जाता है
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Javed Akhtar
Habib Jalib
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बात कुछ भी न थी क्यूँ ख़फ़ा हो गया
तलातुम में कभी उतरा था 'असग़र'
दिल में 'असग़र' के ख़ुशियों की बरसात थी
कहाँ खो गए मेरे ग़म-ख़्वार अब
चैन मुझ को मिला कहाँ अब तक
''ख़ुश्क पत्ता है तो हवा से डर''
कहाँ सर छुपाएँ पता ही नहीं
शहर तो कब का जल चुका 'असग़र'
सर पे दस्तार जब सलामत है