राज़

शाम ओ सहर के मंज़र गहरी उदासियों के

पर्दे गिरा रहे हैं

वाक़िफ़ तो थीं हमेशा उन से मेरी निगाहें

ओढ़े न थीं फ़ज़ाएँ

यूँ कोहर की अबाएँ

कुछ था जो खो गया है?

शाख़-ए-नज़र पे दहका

बर्ग-ए-हिना का शोला

यूँ काँपता है जैसे

मिटता कोई हयूला

शाम ओ सहर से कोई मफ़रूर हो गया है?

सीने में मैं तक़ातुर

बूँदों का सुन रहा हूँ

इक ख़्वाब बुन रहा हूँ

इस में किसे बुलाने?

बे-नाम आरज़ू का ये राज़ कौन जाने

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Raaz In Hindi By Famous Poet Asif Raza. Raaz is written by Asif Raza. Complete Poem Raaz in Hindi by Asif Raza. Download free Raaz Poem for Youth in PDF. Raaz is a Poem on Inspiration for young students. Share Raaz with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.