Ghazals of Azhar Naiyyar

Ghazals of Azhar Naiyyar
नामअज़हर नैयर
अंग्रेज़ी नामAzhar Naiyyar
जन्म की तारीख1945
जन्म स्थानBarhulia,Darbhanga

सच बोलना चाहें भी तो बोला नहीं जाता

मिरी दुनिया अकेली हो रही है

मैं महल रेत के सहरा में बनाने बैठा

मैं अपने शहर में अपना ही चेहरा खो बैठा

जी रहा हूँ मैं उदासी भरी तस्वीर के साथ

इस को कोई ग़म नहीं है जिस का घर पत्थर का है

हुरूफ़ ख़ाली सदफ़ और निसाब ज़ख़्मों के

हरे दरख़्त का शाख़ों से रिश्ता टूट गया

हर एक राह में इम्कान-ए-हादिसा है अभी

हमारे चेहरे पे रंज-ओ-मलाल ऐसा था

हैरान हूँ कि आज ये क्या हादिसा हुआ

दरीचे सो गए शब जागती है

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