नाले हैं न आहें हैं न रोना न तड़पना
बे-ख़ुद हूँ तिरी याद में फ़ुर्सत के दिन आए
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
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Allama Iqbal
Jaun Eliya
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Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
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क्यूँ ख़फ़ा हो क्यूँ इधर आते नहीं
नाले दम लेते नहीं या-रब फ़ुग़ाँ रुकती नहीं
शोख़ी उफ़-रे तिरी नज़र की
देखता हूँ उन की सूरत देख कर
वो ये कह कर दाग़ देते हैं मुझे
नाज़नीनान-ए-जहाँ शोबदा-गर पक्के हैं
आँखों में तिरी शक्ल है दिल में है तिरी याद
निगाह-ए-नाज़ में हया भी है
अयाँ या निहाँ इक नज़र देख लेते
हम को सँभालता कोई क्या राह-ए-इश्क़ में
वहशत-ए-दिल का अजब रंग नज़र आता है
उस ने सुन कर बात मेरी टाल दी