सोहबत-ए-ग़ैर से बचिए बचिए
देखिए देखिए रुस्वाई है
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मुश्किल है इमतियाज़-ए-अज़ाब-ओ-सवाब में
देखता हूँ उन की सूरत देख कर
ज़ालिम तिरे वादों ने दीवाना बना रक्खा
शीशे खुले नहीं अभी साग़र चले नहीं
निगाह-ए-नाज़ में हया भी है
उस ने सुन कर बात मेरी टाल दी
दर्द सहने के लिए सदमे उठाने के लिए
मोहब्बत का मुझे दावा ही क्या है
नाले हैं न आहें हैं न रोना न तड़पना
बहुत कुछ देखना है आगे आगे
नाज़नीनान-ए-जहाँ शोबदा-गर पक्के हैं
धड़कते हुए दिल के हम-राह मेरे