धड़कते हुए दिल के हम-राह मेरे
मिरी नब्ज़ भी चारा-गर देख लेते
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Wasi Shah
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Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
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जफ़ा देखनी थी सितम देखना था
दुनिया की रविश देखी तिरी ज़ुल्फ़-ए-दोता में
मोहब्बत का मुझे दावा ही क्या है
हुस्न है दाद-ए-ख़ुदा इश्क़ है इमदाद-ए-ख़ुदा
ज़ालिम तिरे वादों ने दीवाना बना रक्खा
देखता हूँ उन की सूरत देख कर
न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना
नाले दम लेते नहीं या-रब फ़ुग़ाँ रुकती नहीं
मुश्किल है इमतियाज़-ए-अज़ाब-ओ-सवाब में
नाले हैं न आहें हैं न रोना न तड़पना
दम-ए-तकल्लुम किसी के आगे हम अपने दिल को भी देते हौके