Sad Poetry of Aziz Nabeel
नाम | अज़ीज़ नबील |
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अंग्रेज़ी नाम | Aziz Nabeel |
जन्म की तारीख | 1976 |
जन्म स्थान | Qatar |
तमाम शहर को तारीकियों से शिकवा है
मुसाफ़िरों से कहो अपनी प्यास बाँध रखें
किसी से ज़ेहन जो मिलता तो गुफ़्तुगू करते
वो दुख नसीब हुए ख़ुद-कफ़ील होने में
सुब्ह-सवेरे ख़ुशबू पनघट जाएगी
सर-ए-सहरा-ए-जाँ हम चाक-दामानी भी करते हैं
मोजज़े का दर खुला और इक असा रौशन हुआ
मिरा सवाल है ऐ क़ातिलान-ए-शब तुम से
मैं नींद के ऐवान में हैरान था कल शब
मैं दस्तरस से तुम्हारी निकल भी सकता हूँ
मैं अपने गिर्द लकीरें बिछाए बैठा हूँ
कुछ देर तो दुनिया मिरे पहलू में खड़ी थी
ख़याल-ओ-ख़्वाब का सारा धुआँ उतर चुका है
ख़ाक चेहरे पे मल रहा हूँ मैं
जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी
हयात-ओ-काएनात पर किताब लिख रहे थे हम
दश्त-ओ-सहरा में समुंदर में सफ़र है मेरा
बातों में बहुत गहराई है, लहजे में बड़ी सच्चाई है
अगरचे ज़ेहन के कश्कोल से छलक रहे थे
आँखों के ग़म-कदों में उजाले हुए तो हैं
आएँगे नज़र सुब्ह के आसार में हम लोग