मेरे अंदर का पाँचवाँ मौसम
किस ने देखा है किस ने जाना है
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भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए
ख़ोल चेहरों पे चढ़ाने नहीं आते हम को
दिल कहीं भी नहीं लगता होगा
अन-कही को कही बनाना है
हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है
रात को रोज़ डूब जाता है
ये दिल जो मुज़्तरिब रहता बहुत है
जितना हंगामा ज़ियादा होगा
दरिया ने कल जो चुप का लिबादा पहन लिया