मर गए हम पर न आए तुम ख़बर को ऐ सनम
हौसला अब दिल का दिल ही में मिरी जाँ रह गया
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न बोसा लेने देते हैं न लगते हैं गले मेरे
बाल बिखेरे आज परी तुर्बत पर मेरे आएगी
फ़साद-ए-दुनिया मिटा चुके हैं हुसूल-ए-हस्ती मिटा चुके हैं
किसी पहलू नहीं आराम आता तेरे आशिक़ को
ये चार दिन के तमाशे हैं आह दुनिया के
जहाँ देखो वहाँ मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है
बैठे जो शाम से तिरे दर पे सहर हुई
ऐ 'रसा' जैसा है बरगश्ता ज़माना हम से
दश्त-पैमाई का गर क़स्द मुकर्रर होगा
रुख़-ए-रौशन पे उस की गेसू-ए-शब-गूँ लटकते हैं
रहे न एक भी बेदाद-गर सितम बाक़ी
अजब जौबन है गुल पर आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहारी है