देखना हश्र में जब तुम पे मचल जाऊँगा
मैं भी क्या वादा तुम्हारा हूँ कि टल जाऊँगा
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Gulzar
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1026) Peoples Rate This
हुआ जब सामना उस ख़ूब-रू से
ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए
हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल
कहते हैं जिस को हूर वो इंसाँ तुम्हीं तो हो
बाक़ी जहाँ में क़ैस न फ़रहाद रह गया
देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई
ना-उमीदी बढ़ गई है इस क़दर
ब'अद मुद्दत के ये ऐ 'दाग़' समझ में आया
उज़्र उन की ज़बान से निकला
ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया
आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद