अपने दुश्मन को भी ख़ुद बढ़ के लगा लो सीने
बात बिगड़ी हुई इस तरह बना ली जाए
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Gulzar
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Friends Poetry
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वाइज़ तू अगर उन के कूचे से गुज़र जाए
हो के मजबूर ये बच्चों को सबक़ देना है
क्या ख़बर थी मुन्हरिफ़ अहल-ए-जहाँ हो जाएँगे
आख़िरी वक़्त तलक साथ अंधेरों ने दिया
ज़िंदगी कर गई तूफ़ाँ के हवाले मुझ को
मुस्कुरा कर उन का मिलना और बिछड़ना रूठ कर
रूदाद-ए-शब-ए-ग़म यूँ डरता हूँ सुनाने से
ज़र्रे ज़र्रे में महक प्यार की डाली जाए
अगर मैं उन की निगाहों से गिर गया होता
तेरे फ़िराक़ ने की ज़िंदगी अता मुझ को