देखना ये है कि जंगल को चलाने के लिए
मशवरा रीछ से और चील से होगा कि नहीं
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तसलसुल से गुमाँ लिक्खा गया है
एक सब आग एक सब पानी
जरस और सारबानों तक पहुँचना चाहता है
आग में जलते हुए देखा गया है
ख़्वाब का क्या है रात के नक़्श-ओ-निगार बनाओ
बिला-जवाज़ नहीं है फ़लक से जंग मिरी
आवाज़ का नौहा
रेत मुट्ठी में भरी पानी से आग़ाज़ किया
शेल्फ़ पे उल्टा कर के रख दो और बिसरा दो
ये मो'जिज़ा भी दिखाती है सब्ज़ आग मुझे
खंडर ये फिर बसाने का इरादा ही नहीं था