सदा-ए-कुन से भी पहले किसी जहान में थे
सदा-ए-कुन से भी पहले किसी जहान में थे
वजूद में न सही हम ख़ुदा के ध्यान में थे
वे कितने ख़ुश थे जो कुछ भी न जानते थे मगर
जो जानते थे वे हर दम इक इम्तिहान में थे
किसी को हक़ की तलब थी कोई मजाज़ पे था
और एक हम थे कि दोनों के दरमियान में थे
हक़ीक़तों में उतरने से थोड़ा पहले भी
जनाब आप मिरे ख़ाना-ए-गुमान में थे
मुझे तो रस्ता बदलने में ख़ौफ़ आता था
मगर वो हौसले जो मेरे रफ़्तगान में थे
वफ़ा करेंगे अगर हम वफ़ा मिलेगी हमें
'फ़राज़' पहले-पहल हम भी इस गुमान में थे
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