डी. राज कँवल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का डी. राज कँवल

डी. राज कँवल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का डी. राज कँवल
नामडी. राज कँवल
अंग्रेज़ी नामD. Raj Kanwal
जन्म की तारीख1923

यूँही जलाए चलो दोस्तो भरम के चराग़

नज़रों के गिर्द यूँ तो कोई दायरा न था

लोग जिन को आज तक बार-ए-गराँ समझा किए

किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा

खुलती है चाँदनी जहाँ वो कोई बाम और है

इंसान नहीं वो जो गुनहगार नहीं हैं

हम को छेड़ा तो मचल जाएँगे अरमाँ की तरह

दुनिया पत्थर फेंक रही है झुँझला कर फ़र्ज़ानों पर

दुनिया में दिल लगा के बहुत सोचते रहे

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