Sad Poetry of Farhan Salim

Sad Poetry of Farhan Salim
नामफ़रहान सालिम
अंग्रेज़ी नामFarhan Salim

मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद

हूँ वारदात का ऐनी गवाह मैं मुझ से

अब मुझ से सँभलती नहीं ये दर्द की सौग़ात

वो क़ाफ़िला जो रह-ए-शाएरी में कम उतरा

उदास शाम में पज़मुर्दा बाद बन के न आ

तू मिरी इब्तिदा तू मिरी इंतिहा मैं समुंदर हूँ तू साहिलों की हवा

शिकस्त-ए-आसमाँ हो जाऊँगा मैं

मिरे चराग़ो मिरा गंज-ए-बे-कराँ ले लो

मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद

मक्र-ए-हयात रुख़ की क़बा भी उतार दी

मैं तिरे संग कैसे चलूँ हम-सफ़र तू समुंदर है मैं साहिलों की हवा

खो बैठी है सारे ख़द-ओ-ख़ाल अपनी ये दुनिया

अक्स कुछ न बदलेगा आइनों को धोने से

आम है इज़्न कि जो चाहो हवा पर लिख दो

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