Ghazals of Fartash Syed
नाम | फ़रताश सय्यद |
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अंग्रेज़ी नाम | Fartash Syed |
कविताएं
Ghazal 16
Couplets 4
Love 14
Sad 12
Heart Broken 10
Bewafa 2
Hope 3
Friendship 9
Islamic 2
ख्वाब 1
Sharab 2
ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं
वो भी गुमराह हो गया होगा
वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मिरे साथ
वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मेरे साथ
सर पे हर्फ़ आता है दस्तार पे हर्फ़ आता है
सफ़-ए-मातम पे जो हम नाचने गाने लग जाएँ
नख़्ल-ए-ममनूअा के रुख़ दोबारा गया मैं तो मारा गया
मैं अपने दिल की तरह आइना बना हुआ हूँ
कीसा-ए-गुल में बंद थी ख़ुशबू
इश्क़ हूँ जुरअत-ए-इज़हार भी कर सकता हूँ
हम वफ़ादार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों
हम हैं बस इज़्न-ए-सफ़र होने तक
हाँ कभी रूह को नख़चीर नहीं कर सकता
गुँध के मिट्टी जो कभी चाक पे आ जाती है
गली का पत्थर था मुझ में आया बिगाड़ ऐसा
दर-ए-फ़क़ीर पे जो आए वो दुआ ले जाए