Sad Poetry of Fazil Jamili

Sad Poetry of Fazil Jamili
नामफ़ाज़िल जमीली
अंग्रेज़ी नामFazil Jamili
जन्म की तारीख1968
जन्म स्थानKarachi

ज़िंदगी हो तो कई काम निकल आते हैं

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है

मुद्दत के ब'अद आज मैं ऑफ़िस नहीं गया

मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ

मैं ही अपनी क़ैद में था और मैं ही एक दिन

मैं अक्सर खो सा जाता हूँ गली-कूचों के जंगल में

इस कॉकटेल का तो नशा ही कुछ और है

ज़िंदगानी को अदम-आबाद ले जाने लगा

शौक़ीन मिज़ाजों के रंगीन तबीअ'त के

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है

मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ

मिरे वजूद को परछाइयों ने तोड़ दिया

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं

ख़्वाब में देख रहा हूँ कि हक़ीक़त में उसे

ख़ुमार-ए-शब में तिरा नाम लब पे आया क्यूँ

ख़िज़ाँ का रंग दरख़्तों पे आ के बैठ गया

हम ने किसी की याद में अक्सर शराब पी

गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँ

अब तो अश्कों की रवानी में न रक्खी जाए

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