कहा आशिक़ से वाक़िफ़ हो तो फ़रमाया नहीं वाक़िफ़
मगर हाँ इस तरफ़ से एक ना-महरम निकलता है
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Wasi Shah
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
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आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं
न तो कुछ फ़िक्र में हासिल है न तदबीर में है
ये महव हुए देख के बे-साख़्ता-पन को
अपना ही हाल तक न खुला मुझ को ता-ब-मर्ग
बोसा लिया जो चश्म का बीमार हो गए
सुना है ज़ख़्मी-ए-तेग़-ए-निगह का दम निकलता है