ज़ुबैर अली ताबिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ुबैर अली ताबिश

ज़ुबैर अली ताबिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ुबैर अली ताबिश
नामज़ुबैर अली ताबिश
अंग्रेज़ी नामZubair Ali Tabish
जन्म की तारीख1987

वो जिस ने आँख अता की है देखने के लिए

उस के ख़त रात भर यूँ पढ़ता हूँ

ऊँचे नीचे घर थे बस्ती में बहुत

तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे शक गया होगा

शायद क़ज़ा ने मुझ को ख़ज़ाना बना दिया

पहेली ज़िंदगी की कब तू ऐ नादान समझेगा

कोई तितली निशाने पर नहीं है

किसी भूके से मत पूछो मोहब्बत किस को कहते हैं

इस दर का हो या उस दर का हर पत्थर पत्थर है लेकिन

हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है

बिछड़ कर भी हूँ ज़िंदा रहने वाला

बस मैं मायूस होने वाला था

अपना कंगन समझ रहे हो क्या

अब तलक उस को ध्यान हो मेरा

आज तो दिल के दर्द पर हँस कर

आइना कब बनाओगे मुझ को

वो पास क्या ज़रा सा मुस्कुरा के बैठ गया

वैसे तू मेरे मकाँ तक तू चला आता है

तुम्हारे ग़म से तौबा कर रहा हूँ

रास्ते जो भी चमक-दार नज़र आते हैं

पहले मुफ़्त में प्यास बटेगी

एक पहुँचा हुआ मुसाफ़िर है

दिल फिर उस कूचे में जाने वाला है

भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा

बैठे-बैठे इक दम से चौंकाती है

अब उस का वस्ल महँगा चल रहा है

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