बस मैं मायूस होने वाला था
और मौला ने तुझ को भेज दिया
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अब तलक उस को ध्यान हो मेरा
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
वो जिस ने आँख अता की है देखने के लिए
किसी भूके से मत पूछो मोहब्बत किस को कहते हैं
पहेली ज़िंदगी की कब तू ऐ नादान समझेगा
दिल फिर उस कूचे में जाने वाला है
शायद क़ज़ा ने मुझ को ख़ज़ाना बना दिया
ऊँचे नीचे घर थे बस्ती में बहुत
वो पास क्या ज़रा सा मुस्कुरा के बैठ गया
कोई तितली निशाने पर नहीं है
इस दर का हो या उस दर का हर पत्थर पत्थर है लेकिन
रास्ते जो भी चमक-दार नज़र आते हैं