तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे शक गया होगा
चराग़ ख़ुद भी तो जल जल के थक गया होगा
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(10586) Peoples Rate This
पहले मुफ़्त में प्यास बटेगी
वो पास क्या ज़रा सा मुस्कुरा के बैठ गया
पहेली ज़िंदगी की कब तू ऐ नादान समझेगा
अब उस का वस्ल महँगा चल रहा है
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है
अब तलक उस को ध्यान हो मेरा
भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा
ऊँचे नीचे घर थे बस्ती में बहुत
कोई तितली निशाने पर नहीं है
इस दर का हो या उस दर का हर पत्थर पत्थर है लेकिन