Love Poetry of Hatim Ali Mehr (page 2)

Love Poetry of Hatim Ali Mehr (page 2)
नामहातिम अली मेहर
अंग्रेज़ी नामHatim Ali Mehr

इश्क़-ए-जान-ए-जहाँ नसीब हुआ

इस दौर में हर इक तह-ए-चर्ख़-ए-कुहन लुटा

हम से किनारा क्यूँ है तिरे मुब्तला हैं हम

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

ग़ैर हँसते हैं फ़क़त इस लिए टल जाता हूँ

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई

दीदा-ए-जौहर से बीना हो गया

दरिया तूफ़ान बह रहा है

छोड़ेंगे गरेबाँ का न इक तार कभी हम

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

बुतों का ज़िक्र कर वाइ'ज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

बुतों का सामना है और मैं हूँ

ब-ख़ुदा हैं तिरी हिन्दू बुत-ए-मय-ख़्वार आँखें

अजब है 'मेहर' से उस शोख़ की विसाल का वक़्त

हातिम अली मेहर Love Poetry in Hindi - Read famous Love Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by हातिम अली मेहर. Largest collection of Love Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by हातिम अली मेहर. Share the हातिम अली मेहर Love Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.