Ghazals of Heera Lal Falak Dehlvi

Ghazals of Heera Lal Falak Dehlvi
नामहीरा लाल फ़लक देहलवी
अंग्रेज़ी नामHeera Lal Falak Dehlvi

ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी

ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं

तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

साक़िया ये जो तुझ को घेरे हैं

रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है

रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ

निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की

हो ख़ुदा का करम इरादों पर

दिल शादमाँ हो ख़ुल्द की भी आरज़ू न हो

अश्क-ए-ग़म वो है जो दुनिया को दिखा भी न सकूँ

आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

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