Sad Poetry of Heera Lal Falak Dehlvi
नाम | हीरा लाल फ़लक देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Heera Lal Falak Dehlvi |
कविताएं
Ghazal 17
Couplets 21
Love 21
Sad 16
Heart Broken 18
Bewafa 1
Hope 12
Friendship 3
Islamic 8
देशभक्तिपूर्ण 2
बारिश 1
ख्वाब 1
Sharab 6
याद इतना है मिरे लब पे फ़ुग़ाँ आई थी
तन को मिट्टी नफ़स को हवा ले गई
क्या बात है नज़रों से अंधेरा नहीं जाता
अपना घर फिर अपना घर है अपने घर की बात क्या
ऐ शाम-ए-ग़म की गहरी ख़मोशी तुझे सलाम
ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी
ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं
तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या
सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए
निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की
मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना
क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स
कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत
अश्क-ए-ग़म वो है जो दुनिया को दिखा भी न सकूँ
आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के
आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई