Sad Poetry of Heera Lal Falak Dehlvi

Sad Poetry of Heera Lal Falak Dehlvi
नामहीरा लाल फ़लक देहलवी
अंग्रेज़ी नामHeera Lal Falak Dehlvi

याद इतना है मिरे लब पे फ़ुग़ाँ आई थी

तन को मिट्टी नफ़स को हवा ले गई

क्या बात है नज़रों से अंधेरा नहीं जाता

अपना घर फिर अपना घर है अपने घर की बात क्या

ऐ शाम-ए-ग़म की गहरी ख़मोशी तुझे सलाम

ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी

ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं

तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

अश्क-ए-ग़म वो है जो दुनिया को दिखा भी न सकूँ

आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

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