तन को मिट्टी नफ़स को हवा ले गई
मौत को क्या मिला मौत क्या ले गई
Habib Jalib
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
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Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
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मिरा ख़त पढ़ लिया उस ने मगर ये तो बता क़ासिद
आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के
निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की
देखूँगा किस क़दर तिरी रहमत में जोश है
कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की
हाल बीमार का पूछो तो शिफ़ा मिलती है
ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी
तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या
साक़िया ये जो तुझ को घेरे हैं
मक़ाम-ए-बर्क़ जिसे आसमाँ भी कहते हैं
लोग अंदाज़ा लगाएँगे अमल से मेरे
दिल शादमाँ हो ख़ुल्द की भी आरज़ू न हो