ख्वाब Poetry (page 60)
कहें से कोई नुक़्ता आ जाए
अज़रा अब्बास
हम दोनों
अज़रा अब्बास
हाथ खोल दिए जाएँ
अज़रा अब्बास
फ़ीमेल बुल-फ़ाइटर
अज़रा अब्बास
शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने
अज़्म शाकरी
ये मत कहो कि भीड़ में तन्हा खड़ा हूँ मैं
अज़्म शाकरी
तीरगी में सुब्ह की तनवीर बन जाएँगे हम
अज़्म शाकरी
शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने
अज़्म शाकरी
ऐ ख़्वाब-ए-पज़ीराई तू क्यूँ मिरी आँखों में
अज़्म बहज़ाद
वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिक्खा
अज़्म बहज़ाद
वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिख्खा
अज़्म बहज़ाद
उस आँख से वहशत की तासीर उठा लाया
अज़्म बहज़ाद
शाम आई तो कोई ख़ुश-बदनी याद आई
अज़्म बहज़ाद
मुझे कल अचानक ख़याल आ गया आसमाँ खो न जाए
अज़्म बहज़ाद
मैं ने कल ख़्वाब में आइंदा को चलते देखा
अज़्म बहज़ाद
खुलता नहीं कि हम में ख़िज़ाँ-दीदा कौन है
अज़्म बहज़ाद
दिल सोया हुआ था मुद्दत से ये कैसी बशारत जागी है
अज़्म बहज़ाद
बहुत क़रीने की ज़िंदगी थी अजब क़यामत में आ बसा हूँ
अज़्म बहज़ाद
सफ़र के ब'अद भी सफ़र का एहतिमाम कर रहा हूँ मैं
अज़लान शाह
हार को जीत के इम्कान से बाँधे हुए रख
अज़लान शाह
दूसरा रुख़ नहीं जिस का उसी तस्वीर का है
अज़लान शाह
यादों का जज़ीरा शब-ए-तन्हाई में
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
ये ग़म नहीं कि मुझ को जागना पड़ा है उम्र भर
अज़ीज़ तमन्नाई
ज़िंदगी यूँ तो गुज़र जाती है आराम के साथ
अज़ीज़ तमन्नाई
यूँही कटे न रहगुज़र-ए-मुख़्तसर कहीं
अज़ीज़ तमन्नाई
उठा के मेरे ज़ेहन से शबाब कोई ले गया
अज़ीज़ तमन्नाई
जिस को चलना है चले रख़्त-ए-सफ़र बाँधे हुए
अज़ीज़ तमन्नाई
हर एक रंग में यूँ डूब कर निखरते रहे
अज़ीज़ तमन्नाई
दिल में वो दर्द उठा रात कि हम सो न सके
अज़ीज़ तमन्नाई
कमाल-ए-हुस्न का जब भी ख़याल आया है
अज़ीज़ साबरी