ख्वाब Poetry (page 61)
रसूल-ए-काज़िब
अज़ीज़ क़ैसी
मैं वफ़ा का सौदागर
अज़ीज़ क़ैसी
दाद-गर
अज़ीज़ क़ैसी
चोर-बाज़ार
अज़ीज़ क़ैसी
बाक़ीस्त शब-ए-फ़ित्ना
अज़ीज़ क़ैसी
बैन-उल-अदमैन
अज़ीज़ क़ैसी
अज़ल-अबद
अज़ीज़ क़ैसी
दिल-ख़स्तगाँ में दर्द का आज़र कोई तो आए
अज़ीज़ क़ैसी
गुज़र रहा हूँ किसी ख़्वाब के इलाक़े से
अज़ीज़ नबील
ये किस मक़ाम पे लाया गया ख़ुदाया मुझे
अज़ीज़ नबील
सुनो मुसाफ़िर! सराए-जाँ को तुम्हारी यादें जला चुकी हैं
अज़ीज़ नबील
सर-ए-सहरा-ए-जाँ हम चाक-दामानी भी करते हैं
अज़ीज़ नबील
मैं नींद के ऐवान में हैरान था कल शब
अज़ीज़ नबील
ख़याल-ओ-ख़्वाब का सारा धुआँ उतर चुका है
अज़ीज़ नबील
ख़ाक चेहरे पे मल रहा हूँ मैं
अज़ीज़ नबील
बातों में बहुत गहराई है, लहजे में बड़ी सच्चाई है
अज़ीज़ नबील
अगरचे ज़ेहन के कश्कोल से छलक रहे थे
अज़ीज़ नबील
आँखों के ग़म-कदों में उजाले हुए तो हैं
अज़ीज़ नबील
आएँगे नज़र सुब्ह के आसार में हम लोग
अज़ीज़ नबील
रस्म ऐसों से बढ़ाना ही न था
अज़ीज़ लखनवी
मुसीबत थी हमारे ही लिए क्यूँ
अज़ीज़ लखनवी
मेरे रोने पे ये हँसी कैसी
अज़ीज़ लखनवी
कर चुके बर्बाद दिल को फ़िक्र क्या अंजाम की
अज़ीज़ लखनवी
जीते हैं कैसे ऐसी मिसालों को देखिए
अज़ीज़ लखनवी
जीते हैं कैसे ऐसी मिसालों को देखिए
अज़ीज़ लखनवी
दिल आया इस तरह आख़िर फ़रेब-ए-साज़-ओ-सामाँ में
अज़ीज़ लखनवी
चश्म-ए-साक़ी का तसव्वुर बज़्म में काम आ गया
अज़ीज़ लखनवी
शोख़ी से कश्मकश नहीं अच्छी हिजाब की
अज़ीज़ हैदराबादी
वो लोग जिन से तिरी बज़्म में थे हंगामे
अज़ीज़ हामिद मदनी
उन को ऐ नर्म हवा ख़्वाब-ए-जुनूँ से न जगा
अज़ीज़ हामिद मदनी