बारिश Poetry (page 13)
मैं दस्तरस से तुम्हारी निकल भी सकता हूँ
अज़ीज़ नबील
बातों में बहुत गहराई है, लहजे में बड़ी सच्चाई है
अज़ीज़ नबील
चश्म-ए-साक़ी का तसव्वुर बज़्म में काम आ गया
अज़ीज़ लखनवी
ये फ़ज़ा-ए-साज़-ओ-मुज़रिब ये हुजूम-ताज-ए-दाराँ
अज़ीज़ हामिद मदनी
जूयान-ए-ताज़ा-कारी-ए-गुफ़्तार कुछ कहो
अज़ीज़ हामिद मदनी
हिकायत-ए-हुस्न-ए-यार लिखना हदीस-ए-मीना-ओ-जाम कहना
अज़ीज़ हामिद मदनी
हरम का आईना बरसों से धुँदला भी है हैराँ भी
अज़ीज़ हामिद मदनी
ज़िंदगी के सारे मौसम आ के रुख़्सत हो गए
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ज़िंदगी के सारे मौसम आ के रुख़्सत हो गए
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
सर पर मिरे उम्र-भर रही धूप
अज़हर सईद
दरीचे सो गए शब जागती है
अज़हर नैयर
इस बुलंदी पे कहाँ थे पहले
अज़हर इनायती
जफ़ाओं की नुमाइश है किसी से कुछ नहीं बोलें
अज़हर हाश्मी
मेरी नुमू है तेरे तग़ाफ़ुल से वाबस्ता
अज़हर फ़राग़
दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था
अज़हर फ़राग़
हमें रोको नहीं हम ने बहुत से काम करने हैं
अज़हर अदीब
महरूमी के दुख और तन्हाई के रंज उठाए
अज़ीम मुर्तज़ा
रूह ज़ख़्मी है जिस्म घायल है
आयुष चराग़
सोचों में लहू उछालते हैं
अय्यूब ख़ावर
ग़म के बादल दिल-ए-नाशाद पे ऐसे छाए
अतहर राज़
मैं तुझे भूलना चाहूँ भी तो ना-मुम्किन है
अतहर नासिक
साया मेरा साया वो
अतहर नफ़ीस
भरोसे का क़त्ल
अतीया दाऊद
फ़लक पर कोई साज़िश हो रही है
अतीक़ मुज़फ़्फ़रपुरी
ग़म ये नहीं कि ग़म से मुलाक़ात हुई
अतीक़ असर
जिस्म के घरौंदे में आग शोर करती है
अतीक़ अंज़र
अश्क इन आँखों से हम दिल में बहा कर देखें
अतीक़ अंज़र
चंद लम्हों को सही था साथ में रहना बहुत
अतीक़ इलाहाबादी
अगरचे लाई थी कल रात कुछ नजात हवा
अतीक़ इलाहाबादी
खिले हैं फूल उसी रंग की सताइश में
अतीक़ अहमद