बारिश Poetry (page 11)
तन्हाई में आज उन से मुलाक़ात हुई है
चरख़ चिन्योटी
बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है
चरख़ चिन्योटी
ज़िंदगी की यही कहानी है
चाँदनी पांडे
ख़त्म है बादल की जब से साएबानी धूप में
चाँदनी पांडे
हमारा वतन दिल से प्यारा वतन
चकबस्त ब्रिज नारायण
पंछी ते परदेसी.....
बुशरा एजाज़
पूछते हैं बज़्म में सुन कर वो अफ़्साना मिरा
ब्रहमा नन्द जलीस
किधर जाऊँ कहीं रस्ता नहीं है
बिमल कृष्ण अश्क
चाँद को रेशमी बादल से उलझता देखूँ
बिमल कृष्ण अश्क
काँटे हों या फूल अकेले चुनना होगा
बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन
कुछ न कुछ सिलसिला ही बन जाता
भारत भूषण पन्त
ख़्वाब जीने नहीं देंगे तुझे ख़्वाबों से निकल
भारत भूषण पन्त
कभी सुकूँ कभी सब्र-ओ-क़रार टूटेगा
भारत भूषण पन्त
दानिस्ता जो हो न सके नादानी से हो जाता है
भारत भूषण पन्त
तुम याद मुझे आ जाते हो
बहज़ाद लखनवी
यूँ गुलशन-ए-हस्ती की माली ने बिना डाली
बेदम शाह वारसी
रात उस तुनुक-मिज़ाज से कुछ बात बढ़ गई
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
ख़त में क्या क्या लिखूँ याद आती है हर बात पे बात
बासिर सुल्तान काज़मी
बादल है और फूल खिले हैं सभी तरफ़
बासिर सुल्तान काज़मी
ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है
बशीरुद्दीन अहमद देहलवी
कोई बादल हो तो थम जाए मगर अश्क मिरे
बशीर बद्र
इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं
बशीर बद्र
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
बशीर बद्र
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
बशीर बद्र
पिछली रात की नर्म चाँदनी शबनम की ख़ुनकी से रचा है
बशीर बद्र
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
बशीर बद्र
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
बशीर बद्र
पहला सा वो ज़ोर नहीं है मेरे दुख की सदाओं में
बशीर बद्र
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बशीर बद्र
कहाँ आँसुओं की ये सौग़ात होगी
बशीर बद्र