Sufi Poetry (page 14)
जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
अल्लामा इक़बाल
तुलू-ए-इस्लाम
अल्लामा इक़बाल
तस्वीर-ए-दर्द
अल्लामा इक़बाल
तारिक़ की दुआ
अल्लामा इक़बाल
साक़ी-नामा
अल्लामा इक़बाल
रूह-ए-अर्ज़ी आदम का इस्तिक़बाल करती है
अल्लामा इक़बाल
ला-इलाहा-इल्लल्लाह
अल्लामा इक़बाल
जावेद के नाम
अल्लामा इक़बाल
जवाब-ए-शिकवा
अल्लामा इक़बाल
ये पयाम दे गई है मुझे बाद-ए-सुब्ह-गाही
अल्लामा इक़बाल
या रब ये जहान-ए-गुज़राँ ख़ूब है लेकिन
अल्लामा इक़बाल
वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ
अल्लामा इक़बाल
तिरी निगाह फ़रोमाया हाथ है कोताह
अल्लामा इक़बाल
ताज़ा फिर दानिश-ए-हाज़िर ने किया सेहर-ए-क़ादिम
अल्लामा इक़बाल
समा सकता नहीं पहना-ए-फ़ितरत में मिरा सौदा
अल्लामा इक़बाल
पूछ उस से कि मक़्बूल है फ़ितरत की गवाही
अल्लामा इक़बाल
निगाह-ए-फ़क़्र में शान-ए-सिकंदरी क्या है
अल्लामा इक़बाल
मीर-ए-सिपाह ना-सज़ा लश्करियाँ शिकस्ता सफ़
अल्लामा इक़बाल
मकतबों में कहीं रानाई-ए-अफ़कार भी है
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदी की शोख़ी ओ तुंदी में किब्र-ओ-नाज़ नहीं
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदी हो इल्म से मोहकम तो ग़ैरत-ए-जिब्रील
अल्लामा इक़बाल
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
अल्लामा इक़बाल
ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं
अल्लामा इक़बाल
जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
अल्लामा इक़बाल
हर चीज़ है महव-ए-ख़ुद-नुमाई
अल्लामा इक़बाल
गर्म-ए-फ़ुग़ाँ है जरस उठ कि गया क़ाफ़िला
अल्लामा इक़बाल
फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर
अल्लामा इक़बाल
फ़क़्र के हैं मोजज़ात ताज ओ सरीर ओ सिपाह
अल्लामा इक़बाल
एजाज़ है किसी का या गर्दिश-ए-ज़माना
अल्लामा इक़बाल