Sufi Poetry (page 15)
दिगर-गूँ है जहाँ तारों की गर्दिश तेज़ है साक़ी
अल्लामा इक़बाल
अफ़्लाक से आता है नालों का जवाब आख़िर
अल्लामा इक़बाल
नूर-ए-हक़ बे-हिजाब इश्क़-अल्लाह
अलीमुल्लाह
इलाही बुलबुल-ए-गुलज़ार-मअनी कर लिसाँ मेरा
अलीमुल्लाह
हुस्न का देख हर तरफ़ गुलज़ार
अलीमुल्लाह
गर इश्क़ है तो देखने पिव को शिताब आ
अलीमुल्लाह
दिलबर को दिलबरी सूँ मना यार कर रखूँ
अलीमुल्लाह
'बहरी' पछाने नीं उसे गुल के सो वो दम-साज़ थे
अलीमुल्लाह
अजब चंचल मिला है यार हमना
अलीमुल्लाह
शम्अ' का मय का शफ़क़-ज़ार का गुलज़ार का रंग
अली सरदार जाफ़री
मौसम-ए-रंग भी है फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ भी तारी
अली सरदार जाफ़री
राह-ए-उल्फ़त में मिले ऐसे भी दीवाने मुझे
अली जव्वाद ज़ैदी
सफ़ीर-ए-लैला-1
अली अकबर नातिक़
जब तक खुली नहीं थी असरार लग रही थी
आलम ख़ुर्शीद
निकल रहा हूँ यक़ीं की हद से गुमाँ की जानिब
अकरम महमूद
यादें
अख़्तर-उल-ईमान
इरफ़ान-ओ-आगही के सज़ा-वार हम हुए
अख़्तर ज़ियाई
दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी
अख़्तर शीरानी
नज़्र-ए-वतन
अख़्तर शीरानी
बस्ती की लड़कियों के नाम
अख़्तर शीरानी
वो कहते हैं रंजिश की बातें भुला दें
अख़्तर शीरानी
वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए
अख़्तर शीरानी
उस मह-जबीं से आज मुलाक़ात हो गई
अख़्तर शीरानी
मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ
अख़्तर शीरानी
ख़यालिस्तान-ए-हस्ती में अगर ग़म है ख़ुशी भी है
अख़्तर शीरानी
ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
अख़्तर शीरानी
आश्ना हो कर तग़ाफ़ुल आश्ना क्यूँ हो गए
अख़्तर शीरानी
दिल बहलने के वसीले दे गया वो
अख़तर शाहजहाँपुरी
चंद उलझी हुई साँसों की अता हूँ क्या हूँ
अख़्तर सईद ख़ान
चाहो तो मिरा दुख मिरा आज़ार न समझो
अख़तर बस्तवी