Love Poetry of Iftikhar Naseem

Love Poetry of Iftikhar Naseem
नामइफ़्तिख़ार नसीम
अंग्रेज़ी नामIftikhar Naseem
जन्म की तारीख1946
मौत की तिथि2011

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा

मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे

कोई बादल मेरे तपते जिस्म पर बरसा नहीं

दीवार ओ दर झुलसते रहे तेज़ धूप में

वो मिला मुझ को न जाने ख़ोल कैसा ओढ़ कर

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा

तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी

सूरज नए बरस का मुझे जैसे डस गया

शाम से तन्हा खड़ा हूँ यास का पैकर हूँ मैं

सज़ा ही दी है दुआओं में भी असर दे कर

रात को बाहर अकेले घूमना अच्छा नहीं

न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना

मिशअल-ए-उम्मीद थामो रहनुमा जैसा भी है

किसी के हक़ में सही फ़ैसला हुआ तो है

जिला-वतन हूँ मिरा घर पुकारता है मुझे

इस तरह सोई हैं आँखें जागते सपनों के साथ

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो

हाथ लहराता रहा वो बैठ कर खिड़की के साथ

हाथ हाथों में न दे बात ही करता जाए

है जुस्तुजू अगर इस को इधर भी आएगा

चाँद फिर तारों की उजली रेज़गारी दे गया

बन गया है जिस्म गुज़रे क़ाफ़िलों की गर्द सा

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