तवहहुम

उन के लहजे में वो कुछ लोच वो झंकार वो रस

एक बे-क़स्द तरन्नुम के सिवा कुछ भी न था

काँपते होंटों में उलझे हुए मुबहम फ़िक़रे

वो भी अंदाज़-ए-तकल्लुम के सिवा कुछ भी न था

सैकड़ों टीसें नज़र आती थीं जिस में मुझ को

वो भी इक सादा तबस्सुम के सिवा कुछ भी न था

सर्द ओ ताबिंदा सी पेशानी वो मचले हुए अश्क

दिन में नूर-ए-माह-ओ-अंजुम के सिवा कुछ भी न था

तुंद आहों के दबाने में वो सीने का उभार

एक यूँही से तलातुम के सिवा कुछ भी न था

मैं ने जो देखा था, जो सोचा था, जो समझा था

हाए 'जज़्बी' वो तवहहुम के सिवा कुछ भी न था

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Tawahhum In Hindi By Famous Poet Moin Ahsan Jazbi. Tawahhum is written by Moin Ahsan Jazbi. Complete Poem Tawahhum in Hindi by Moin Ahsan Jazbi. Download free Tawahhum Poem for Youth in PDF. Tawahhum is a Poem on Inspiration for young students. Share Tawahhum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.