मेरी दुश्वारी है दुश्वारी मिरी
मेरी मुश्किल आप की मुश्किल नहीं
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आने में कभी आप से जल्दी नहीं होती
न लाए ताब-ए-दीद औसान वाले
फिर मिले हम उन से फिर यारी बढ़ी
असर हो या न हो वाइज़ बयाँ में
न मानोगे न मानोगे हमारी
मेरे सर से क्या ग़रज़ सरकार को
तुम भूल गए मुझ को यूँ याद दिलाता हूँ
लगा दे सोज़-ए-मोहब्बत फिर आग सीने में
हवा बाँधते हैं जो हज़रत जिनाँ की
दर्द-ए-दिल यार रहा दर्द से यारी न गई
मिलो मिलो न मिलो इख़्तियार है तुम को
बिखरी हुई है यूँ मिरी वहशत की दास्ताँ