न मानोगे न मानोगे हमारी
उधर हो जाएगी दुनिया इधर की
Faiz Ahmad Faiz
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बेगाना-ए-वफ़ा तिरा शेवा ही और है
अब कौन बात रह गई ये बात भी गई
क्या कहें क्या क्या किया तेरी निगाहों ने सुलूक
जो उन को चाहिए वो किए जा रहे हैं वो
दर्द-ए-दिल यार रहा दर्द से यारी न गई
क़ुबूल हो कि न सज्दा ओ सलाम अपना
दिल में आने के 'मुबारक' हैं हज़ारों रस्ते
हज़ारों मय-कदे सर पर लिए हैं
किस पे दिल आया कहाँ आया बता ऐ नासेह
जबीं पर ख़ाक है ये किस के दर की
मेरे सर से क्या ग़रज़ सरकार को
कहते हैं कि दे मेरी बला दाद किसी की