मिलती नहीं पनाह हमें जिस ज़मीन पर
इक हश्र उस ज़मीं पे उठा देना चाहिए
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Gulzar
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एक वारिस हमेशा होता है
मैं, वो और रात
इक आलम-ए-हिज्राँ ही अब हम को पसंद आया
दिल ख़ौफ़ में है आलम-ए-फ़ानी को देख कर
चमन मैं रंग-ए-बहार उतरा तो मैं ने देखा
दश्त-ए-बाराँ की हवा से फिर हरा सा हो गया
चमक ज़र की उसे आख़िर मकान-ए-ख़ाक में लाई
इक तेज़ तीर था कि लगा और निकल गया
मैं और वो
बे-ख़याली में यूँही बस इक इरादा कर लिया
दिन अगर चढ़ता उधर से मैं इधर से जागता
जंगलों में कोई पीछे से बुलाए तो 'मुनीर'