ख़्वाब
ख़्वाब फ़न का सरमाया ख़्वाब फ़न की पूँजी है
ख़्वाब मुझ से मत छीनो
ख़्वाब देखने दो मुझे ख़्वाब बाँटने दो मुझे
कुफ़्र रद किया मैं ने रौशनी को दीं जाना
अहरमन के बेटों को मैं ने अहरमन जाना
उन को सर-निगूँ देखा बारगाह-ए-यज़्दाँ में
आफ़्ताब-दामन में माहताब-जेबों में
मैं ने भर लिए कितने
तीरगी मिटाने को ज़िंदगी की राहों से
माँग मैं ने धरती की रंग-ओ-नूर से भर दी
कहकशाँ की चादर से ढक दिया बदन उस का
चार-सू धनक फूटी चार-सू शफ़क़ फूली
आफ़्ताब दामन में
माहताब-जेबों में मेरी जगमगाने दो
ख़्वाब मेरी पूँजी है ख़्वाब मेरा सरमाया
ख़्वाब मुझ से मत छीनो
ख़्वाब मुझ से मत छीनो
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