क्या ख़बर आज तेरी आँखों में
बरहमी है कि ग़म से राज़-ओ-नियाज़
मेरे सीने से अब भी आती है
तेरी पलकों की रहम-दिल आवाज़
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(953) Peoples Rate This
वफ़ा कैसी?
कोई साग़र में देखता है फ़रार
तितलियाँ उड़ती हैं और उन को पकड़ने वाले
जब हवा शब को बदलती हुई पहलू आई
गुनाहगार
बुझ गई शम-ए-हरम बाब-ए-कलीसा न खुला
गिर्या तो अक्सर रहा पैहम रहा
सहर जीतेगी या शाम-ए-ग़रीबाँ देखते रहना
कफ़-ए-मोमिन से न दरवाज़ा-ए-दौराँ से मिला
इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहीं
सीने में ख़िज़ाँ आँखों में बरसात रही है
बुज़ुर्गो, नासेहो, फ़रमाँ-रवाओ