इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहीं
और यूँ होश से रहने में भी नादानी है
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(422) Peoples Rate This
जब हवा शब को बदलती हुई पहलू आई
यूँ तो अक्सर ख़याल आता था
रूह के इस वीराने में तेरी याद ही सब कुछ थी
फ़रहाद
काश हम लोग लड़ गए होते
कफ़-ए-मोमिन से न दरवाज़ा-ए-दौराँ से मिला
वक़्त के साथ लोग कहते थे
ग़म-ए-दौराँ ने भी सीखे ग़म-ए-जानाँ के चलन
जुदाई
नावक-ए-ज़ुल्म उठा दशना-ए-अंदोह सँभाल
सुन के लोगों के ज़हर से फ़िक़रे
हर तरफ़ इम्बिसात है ऐ दिल