सालिक लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सालिक लखनवी
नाम | सालिक लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Salik Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1913 |
ज़िंदाँ में आचानक है ये क्या शोर-ए-सलासिल
यूँही इंसानों के शहरों में मिला अपना वजूद
ये भी इक रात कट ही जाएगी
सितारे की तरह सीने में दिल डूबा किया लेकिन
साहिल पे क़ैद लाखों सफ़ीनों के वास्ते
निगाह-ए-शौक़ से लाखों बना डाले हैं दर हम ने
निगाह-ए-मेहर कहाँ की वो बरहमी भी गई
नज़र से देख तो साक़ी इक आईना बनाया है
नाख़ुदा डूबने वालों की तरफ़ मुड़ के न देख
मिट चुके जो भी थे तौबा-शिकनी के अस्बाब
मंज़िल न मिली कश्मकश-ए-अहल-ए-नज़र में
माल-ओ-ज़र अहल-ए-दुवल सामने यूँ गिनते हैं
मय-ख़ाना-ए-हस्ती में साक़ी हम दोनों ही मुजरिम हैं शायद
महव यूँ हो गए अल्फ़ाज़-ए-दुआ वक़्त-ए-दुआ
खींच भी लीजिए अच्छा तो है तस्वीर-ए-जुनूँ
खनक जाते हैं जब साग़र तो पहरों कान बजते हैं
कही किसी से न रूदाद-ए-ज़िंदगी मैं ने
जो तेरी बज़्म से उट्ठा वो इस तरह उट्ठा
दिल ने सीने में कुछ क़रार लिया
धुआँ देता है दामान-ए-मोहब्बत
चाहा था ठोकरों में गुज़र जाए ज़िंदगी
बहार-ए-गुलिस्ताँ हम को न पहचाने तअज्जुब है
अपनी ख़ुद्दारी सलामत दिल का आलम कुछ सही
आज भी है वही मक़ाम आज भी लब पे उन का नाम
वुसअ'त-ए-दामान-ए-दिल को ग़म तुम्हारा मिल गया
डरता रहता हूँ हम-नशीनों में
बढ़ते हैं ख़ुद-ब-ख़ुद क़दम अज़्म-ए-सफ़र को क्या करूँ
अब ऐसी बातें कोई करे जो सब के मन को लुभा जाएँ