धुआँ देता है दामान-ए-मोहब्बत
इन आँखों से कोई आँसू गिरा है
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(428) Peoples Rate This
मय-ख़ाना-ए-हस्ती में साक़ी हम दोनों ही मुजरिम हैं शायद
निगाह-ए-शौक़ से लाखों बना डाले हैं दर हम ने
खनक जाते हैं जब साग़र तो पहरों कान बजते हैं
आज भी है वही मक़ाम आज भी लब पे उन का नाम
डरता रहता हूँ हम-नशीनों में
अपनी ख़ुद्दारी सलामत दिल का आलम कुछ सही
नज़र से देख तो साक़ी इक आईना बनाया है
ये भी इक रात कट ही जाएगी
चाहा था ठोकरों में गुज़र जाए ज़िंदगी
दिल ने सीने में कुछ क़रार लिया
खींच भी लीजिए अच्छा तो है तस्वीर-ए-जुनूँ
माल-ओ-ज़र अहल-ए-दुवल सामने यूँ गिनते हैं